शेर ओ शायरी

अब वो रानाई–ए –ख्याल कहां–२ वो रस भरी रुसवाईयां कहां तेरे खयालों की तन्हाइयां कहां ढूंढने से क्या मिलेगा वो सब, जो रह गई है सिमट के कहानियों में!