वीकेंड होम या मामा घर

एक रात मैं कुछ परेशान था परेशान इसलिए नहीं कि परेशानियां मेरे पीछे थी परेशान इसलिए की मैं परेशानियों के पीछे था तभी एक आवाज आई और मैं रुक गया और मेरी परेशानियां दूर जाती…

सोच कर सोच बदल

जाने क्या सुकून मिला धर्मगुरुओं को, नेताओं को? बांटकर हम मानव को बांटकर समाज को, देश को धर्म तो कहीं कहा नहीं के बंटो और लड़ो गर कहा है तो फिर वो धर्म ही कहां?…

चल किताबों से रूबरू हों फिर

हमें तेरे ख्यालों के ख्याल तक जाना हैसवालों के असल जवाब तक जाना हैकब तक सवालों के जवाब ढूंढूं तेरे राज मेंकभी खुले भी, ऐ सरकार ! – 2मुझे आखरी हिसाब तक जाना है