Sher-O-Shayari

ग़ज़ल और नज़्म

सोचकर सोचो कया सोचते हो

सोचकर सोचो क्या सोचते हो –२

क्या कभी कुछ नया सोचते हो –२

बीती बातों में बस घूमते हो –२

सोचकर सोचो क्या सोचते हो

क्या कभी कुछ नया सोचते हो

जब कभी कुछ तुम सोचते हो

खुद के ख्याल से खुद को सोचते हो

खुद के आईने में खुद को देखते हो

खुद की नजरों से खुद को जांचते हो

क्यों नहीं इस कैद से निकलते हो –२

कहता हूं क्यों न कुछ नया भी पढ़ा करो,

क्यों न कुछ हट के अलग सा देखते हो

इस बहाने ही कुछ नया जानते हो

जानकर कुछ नई सोच बुनते हो

इस क़दर फिर नया सोचते हो

सोचकर सोचो क्या सोचते हो

क्या कभी कुछ नया सोचते हो –२

सोचकर सोचो क्या सोचते हो

आने जाने दो हर सोच को मुख्तसर

न टोको न रोको जरा देखो ठहरकर

देखो फिर नई सोच बनती किस कदर

होती है नई शक्ति कैसे मयस्सर

देखो फिर कितना नया सोचते हो

सोचते सोचो क्या सोचते हो

क्या कभी कुछ नया सोचते हो

निर्मल कलकल प्यार

कुछ तो कहना है तुझसे –२

पास ही रहना है तुझसे

कुछ सुनाना है तुझे –२

कुछ सुनना भी है तुझसे

कुछ तो कहना है तुझसे

ये इंतजार है मासूम देखो ना

हर रोज वहीं क्यों दिखता हूं

तेरे आने की राह क्यों तकता हूं

कहना क्या है –२ यूं ही समझो ना

यूं भी तो समझो ना –२

कुछ तो कहना है तुझसे

आता हूं जब पास तेरे

तो दिल धड़क ही जाता है

देख लूं चेहरा जो तिरा

फिर मन महक ही जाता है

क्या बताऊं–३, क्या है ये

प्यार ही है समझो ना

समझो ना–२,

प्यार ही है समझो ना

कुछ तो कहना है तुझसे

पास ही रहना है तुझसे

तरसा ए जिंदगी

तरसा ए जिंदगी तुझे पाने को बार बार

होते हो रूबरू अभी, अभी हो जाते जार जार

तरसा ए जिंदगी….

वो आए पास बैठे, मैं निहारूं बेहिसाब

सुन न ये जिया भी क्या बोले बार बार

तरसा ए जिंदगी…

यूं हंसकर रूठ जाना, है फितरत इश्क़ की

और छेड़ देती कशिश उफ़, अजब की बार बार

तरसा ए जिंदगी तूझे पाने को बार बार

गुज़ारिश ए इश्क़

मेरे इश्क़ का मान करो, ना करो

चलो दोस्त बन के ही मिला करो

तेरा संग शबनमी होता है

कुछ वक्त साथ चला करो

ये शोखी ये हंसी प्यारी है बहोत

जाने को मुझे ना कहा करो

मेरी गलियां सुनी सूनी है

कुछ रंग–ए–चश्म डाल जाया करो