चल किताबों से रूबरू हों फिर

हमें तेरे ख्यालों के ख्याल तक जाना है
सवालों के असल जवाब तक जाना है
कब तक सवालों के जवाब ढूंढूं तेरे राज में
कभी खुले भी, ऐ सरकार ! – 2
मुझे आखरी हिसाब तक जाना है

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